अप्रेजल बम – मूल्यांकन प्रतिभा का

पदोन्नति- यानि कि ख़ुशी, मतलब एक ऐसा क्षण जब आप अपनी पीठ थपथपा के खुद की थोड़ी सराहना थोड़ी तारीफ और मन करे तो अपने पे थोड़ा गर्व भी महसूस कर सकते हो या फिर करते ही हैं | एक ऐसा पल जब पल आप अपने को थोड़ा पीछे मुड के देखते हो और फिर कहते हो हाँ कुछ तो किया है की आज ये सराहना और बधाइयाँ मिल रही हैं और फिर थोड़ा सा लक्ष्य के पास जाते हुए महसूस करते हो |
कुलमिलाकर ख़ुशी और गर्व का एक ऐसा पल जो आत्मविश्वास और कुछ और अच्छा करने की प्रेरणा भी देता है |
आज ऑफिस में अचानक से धीरे धीरे खुसफुसाहट की आवाजें सुनाई देने पर जब मैंने अपने आजू बाजू देखा तो मुझे लग गया की बस भैया आज तो अप्रेजल बम फूट गया लगता है | जी हाँ अप्रेजल एक बम जैसा ही हैं जो फूटता है तो ख़ुशी और गम दोनों देता है | अब आप कहोगे की बम और ख़ुशी !! हाँ भाई ! जैसे बम फोड़ने वाले को ख़ुशी और जिसपे फूटे उसे कष्ट होता है ! ठीक उसी तरह अप्रेजल बम कुछ को ख़ुशी बहुतो को गम गम दे जाता है !
अप्रेजल बम मुख्यतः ४ प्रकार के पाए गए हैं :
१) अप्रतिम बम
२) असाधारण बम
३) साधारण बम
४) अति-साधारण बम
अप्रतिम बम – जिसपे गिरता है उसे अपार ख़ुशी और गर्वान्वित क्षण देता है परन्तु जिसपे नहीं गिरता उसे अतिकष्ट और ग्लानी देता है | अप्रतिम बम गिरने पे पदोन्नति के कीट सबसे ज्यादे पनपते है |

असाधारण बम – असाधारण बम जिस पे गिरता है उसे असाधारण तो नहीं परन्तु दुःख सुख की परिभाषा से परे ले जाता है | मतलब की न ख़ुशी न गम और जब दो असाधारण बम वाले आपस में मिलते हैं तो कहते हैं की न अप्रतिम हम न अप्रतिम तुम ! साधारण बम समाज के समता के अधिकार को सबसे ज्यादे बढ़ावा देता है और इससे कंपनी में सद्भावना और भाईचारे में बढ़ोत्तरी होती है |
साधारण बम – जिसपे गिरे वो भी चुप चाप रहता है और उसके आसपास वाले भी | इसकी तीव्रता अप्रतिम से थोड़ी ज्यादे किन्तु ख़ुशी किसी को नहीं देता |
अति-साधारण बम –  इसकी कामना कोई भी नहीं करता न गिराने वाला और न ही जिसपे गिरता है ! अतितीव्र क्षमता का यह अति-साधारण बम सबसे नाशक अस्त्र है जिसका शत्रु सुखमय भविष्य है !
खैर ये तो चलता ही रहता है पर हाँ एक बात तो है जिस देश में बम का इतना दहशत है वही लाखों मजदूर अप्रेजल बमों के गिरने कि आस में पूरे साल मजदूरी करते हैं !
चलिए तय समय पर साल में एक बार गिरने वाले इस बम का इंतज़ार एक बार फिर से  शुरू हो चुका !